भारत में, बच्चों के अधिकारों को विभिन्न कानूनों और विनियमों के तहत संरक्षित किया गया है।
शिक्षा का अधिकार: 2009 के बच्चों के मुफ्त और अनिवार्य शिक्षा के अधिकार (आरटीई) अधिनियम के तहत, हर बच्चे को मुफ्त और अनिवार्य शिक्षा का अधिकार है।
सुरक्षा का अधिकार: बच्चों को उसी के अन्तर्गत सभी प्रकार के शोषण, दुर्व्यय और उपेक्षा से सुरक्षा का अधिकार है, 2012 के बाल यौन अपराधों से बचाव (पोक्सो) अधिनियम और 2015 के नाबालिग न्याय अधिनियम के अंतर्गत।
स्वास्थ्य का अधिकार: बच्चों को अन्न, पोषण और प्रत्यक्ष टीकाकरण के बुनियादी स्वास्थ्य सुविधाओं का अधिकार है
पहचान का अधिकार: बच्चों को जन्म और नागरिकता के पंजीकरण का अधिकार है, 1969 के जन्म और मृत्यु के पंजीकरण अधिनियम और 1955 के नागरिकता अधिनियम के अंतर्गत।
विकास का अधिकार: बच्चों को शारीरिक, मानसिक और सामाजिक विकास के अवसरों का अधिकार है, बाल कल्याण और विकास पर निर्भर विभिन्न सरकारी कार्यक्रमों के तहत।
भागीदारी का अधिकार: विचार-विमर्श करने के अधिकार हैं और उनको उनके प्रभावित करने वाले मामलों में अपने विचार और राय का अभिव्यक्त करने का अधिकार है
बालश्रम से सुरक्षा का अधिकार: 1986 के बाल श्रम (निषेध और विनियमन) अधिनियम के अंतर्गत, बच्चों को आर्थिक शोषण और जोखिमपूर्ण श्रम से सुरक्षा का अधिकार है।
अटकलबाजी से सुरक्षा का अधिकार: बच्चों को अटकलबाजी और मजदूरी से सुरक्षा का अधिकार है, जैसे कि अनैतिक ट्रैफिक अधिनियम, 1956, और 2015 के नाबालिग न्याय अधिनियम में प्रावधान है
संघर्ष में सुरक्षा का अधिकार: बच्चों को संघर्ष के दौरान और हिंसा की स्थितियों में सुरक्षा का अधिकार है, जिसमें युद्ध स्थलों में बच्चों की सुरक्षा के प्रावधान हैं।
विकलांग बच्चों के लिए विशेष देखभाल का अधिकार: विकलांग बच्चों को विशेष देखभाल, शिक्षा, और पुनर्वास और सामाजिक एकीकरण के अवसर का अधिकार है, 2016 के विकलांग व्यक्तियों के अधिकार अधिनियम है