ये चुनौतियाँ भारत में एनजीओ की विविध और जटिल परिस्थितियों को दर्शाती हैं, जिन्हें सामाजिक मुद्दों को प्रभावी ढंग से संबोधित करने के लिए रणनीतिक योजना, सहनशीलता और सहयोग की आवश्यकता होती है।
भारतीय एनजीओ को अक्सर वित्तीय संकटों का सामना करना पड़ता है, जिसका कारण नियमित धनराशि की कमी, अनुदान कटौती, और विभिन्न स्तरों पर वित्तीय प्रबंधन में कठिनाइयों का होता है।
भारतीय कानून और नियमों की अदालती प्रक्रिया में लंबी देरी और जटिलताओं का सामना करना पड़ता है, जिससे एनजीओ के कार्य को अस्थिरता और अविश्वसनीयता का सामना करना पड़ता है।
अक्सर एनजीओ को आंतरिक संघर्षों और असंतोष का सामना करना पड़ता है, जिससे कार्यकर्ताओं की सामंजस्य और कार्यक्षमता पर असर पड़ता है।
कई बार सरकारी नीतियों और अधिकारियों के प्रतिबंधित कार्यों के कारण एनजीओ को कार्य में विघ्न आ सकता है।
विभिन्न क्षेत्रों में एनजीओ के कार्यक्षेत्र में संचार की कमी अक्सर असमर्थता का कारण बनती है।
संगठन के साथ संबंधित अन्य एनजीओ, सरकारी अधिकारियों, और समुदाय के संबंधों की कमी के कारण, एनजीओ को कार्य में सामाजिक परिवर्तन लाने में कठिनाई हो सकती है।
एनजीओ को कई बार सत्ताधारी दलों या सरकारी निकायों के दबाव या हस्तक्षेप का सामना करना पड़ता है, विशेषकर जब उनकी गतिविधियां सरकारी नीतियों या एजेंडाओं की आलोचना के रूप में मानी जाती हैं।
कई बार भारतीय समाज में विभिन्न समाजिक और आर्थिक असमानताओं के कारण एनजीओ को कार्य करने में कठिनाई होती है।